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Sunday 14 February 2016

सभ्यता और संस्कृति के साथ जुडऩे के लिए सरस्वती की आराधना जरूरी: सोलंकी

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सभ्यता और संस्कृति के साथ जुडऩे  के लिए सरस्वती की आराधना जरूरी: सोलंकी
राज्यपाल प्रोफेसर कप्तान सिंह सोलंकी ने ज्योतिसर की पावनधरा पर की पूजा अर्चना, मंत्रोच्चाण के बीच राज्यपाल ने की सरस्वती की आरती



कुरुक्षेत्र, 11 फरवरी। हरियाणा व पंजाब के राज्यपाल प्रोफेसर कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि  भारत की सबसे पवित्र नदी सरस्वती के साथ  देश की सभ्यता और संस्कृति जुड़ी हुई है। इसलिए सरकार ने देश के साथ आमजन को जोडऩे के लिए पहली बार सरस्वती हैरीटेज यात्रा का आयोजन किया। इस जग-जागरण यात्रा से लोगों को सभ्यता और संस्कृति का मनन करने का अवसर भी मिलेगा।
राज्यपाल प्रोफेसर कप्तान सिंह सोलंकी वीरवार को देर सायं ज्योतिसर के तीर्थ स्थल पर सरस्वती महोत्सव पर आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करने के उपरांत पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे। इससे पहले राज्यपाल प्रोफेसर कप्तान सिंह सोलंकी, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य इन्द्रेश कुमार, सरस्वती हैरीटेज बोर्ड के वाईस चैयरमैन प्रशांत भारद्वाज, थानेसर विधायक सुभाष सुधा, लाडवा विधायक डॉ. पवन सैनी, सरस्वती हैरीटेज बोर्ड के सीईओ विजेन्द्र, पूर्व मंत्री एमएल रंगा, एडीसी प्रभजोत सिंह सहित अन्य मेहमानों ने पूजा पाठ में भाग लिया। पंडित नरेश कुमार ने विधिवत रूप से पूजा अर्चना करवाई और सभी के लिए मंगलकामनाओं की प्रार्थना की। इसके पश्वात राज्यपाल प्रोफेसर कप्तान सिंह सोलंकी ने सरोवर तट पर सरस्वती की आरती कार्यक्रम में भाग लिया।
राज्यपाल ने सरस्वती महोत्सव एवं बसंत पंचमी की प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि सरस्वती हैरीटेज बोर्ड की तरफ से सरस्वती महोत्सव मनाया जा रहा है। इस पवित्र नदी के साथ विशाल महिमा जुड़ी हुई है। यह हरियाणा का सौभाग्य है कि यह नदी हरियाणा की पावनधरा पर बही। उन्होंने कहा कि इस पवित्र नदी के किनारे ही सभ्यता और संस्कृति का विकास हुआ। इस सभ्यता और संस्कृति से ही भारतवर्ष जुड़ा हुआ है। राज्य सरकार ने फिर  लोगों को देश की संस्कृति और सभ्यता के साथ जोडऩे के लिए जग-जागरण अभियान के  तहत पहली बार सरस्वती हैरीटेज यात्रा का आयोजन किया। उन्होंने कहा कि पहली बार कुरुक्षेत्र की पावनधरा पर मां सरस्वती की आरती व पूजा में शामिल हुए। इस मौके पर पुलिस अधीक्षक सिमरदीप सिंह, एसडीएम थानेसर सतबीर कुंडू, एसडीएम पेहवा डॉ. किरण सिंह, नगराधीश डॉ. पूजा भारती सहित अन्य अधिकारी और गणमान्य लोग मौजूद थे।


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प्राचीन सांस्कृतिक विरासत को खोजकर बनेगा भारत विश्व गुरू:सोलंकी
राज्यपाल ने किया सरस्वती आरती की सीडी का विमोचन, सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने किया भावविभोर

कुरुक्षेत्र, 11 फरवरी। हरियाणा के राज्यपाल प्रोफेसर कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा है कि 21वीं सदी भारत की नियति एवं उसका भविष्य है। प्राचीन सांस्कृतिक विरासत को खोजकर भारत को विश्व गुरू बनाना प्रत्येक भारतीय का सपना है। वे गुरूवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा संास्कृतिक कार्यक्रम विभाग व सरस्वती हैरीटेज बोर्ड की ओर से आयोजित सरस्वती महोत्सव के सांस्कृतिक कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। इस मौके पर राज्यपाल ने सरस्वती हैरिटेज बोर्ड की तरफ से तैयार की गई सरस्वती आरती की सीडी का विमोचन किया।
उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने सरस्वती के विकास के लिए हरियाणा सरस्वती हैरिटेज बोर्ड  का गठन कर एक सराहनीय प्रयास किया है। बोर्ड के तत्वाधान में सरस्वती महोत्सव पहला कार्यक्रम है। उन्होंने कहा कि सरस्वती नदी के किनारे ही भारतीय वैदिक संस्कृति का विकास हुआ था। सरस्वती नदी को खोजना उस प्राचीन वैदिक संस्कृति को खोजना है जो भारत के गौैरवशाली इतिहास का आईना है।
प्रोफेसर कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि हम अपनी सांस्कृतिक विरासत को भूल गए हैं। भारत को आज जिस नैतिकता, ईमानदारी, पुरूषार्थ व आध्यामिकता की जरूरत है, उसे हम खो बैठे हैं। प्राचीन सांस्कृतिक विरासत खोजने का यह प्रयास सराहनीय है। नैतिकता, ईमानदारी, पुरूषार्थ व आध्यामिकता के रास्ते पर चलकर ही हम देश को विश्वगुरू बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि  स्वतंत्रता का मतलब सांस्कृतिक स्वतंत्रता भी है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे इस वैदिक संस्कृति के इतिहास को जानने की कोशिश करें। भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में दुनिया के एक ऐसी जीवन पद्धति दी थी जो व्यक्ति को नर से नारायण का रास्ता दिखाती है। आज कुरुक्षेत्र एक बार फिर करवट ले रहा है और देश भी करवट ले रहा है। दुनिया की निगाह आज भारत व इसकी वैदिक संस्कृति की ओर है। 
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के इन्द्रेश कुमार ने कहा कि सरस्वती ज्ञान, विद्या, वाणी, संगीत की देवी है। सरस्वती मनुष्य की यात्रा को मानव से देवत्त्व की ओर ले जाती है। जीवन को जीना व समझना सरस्वती की उपासना है। हरियाणा सरकार ने सरस्वती को खोजने के लिए हैरिटेज बोर्ड का गठन कर देश की प्राचीन संस्कृति को खोजने की शुरूआत की है। उन्होंने कहा कि हमें इस धरोहर के विकास के लिए मिलकर काम करना है। हैरिटेज बोर्ड के वाईस चैैयरमैन प्रशांत भारद्वाज ने कहा कि इसरो, नासा, के वैज्ञानिकों ने जो मार्ग खोजा था। हरियाणा सरकार ने सरस्वती हैरिटेज बोर्ड के माध्यम से सरस्वती को धरती पर लाने का निर्णय लिया है। भारत की प्राचीन वैदिक सभ्यता इस नदी के किनारे विकसित हुई थी। 1981 में सरस्वती की खोज का काम शुरू हुआ। सरस्वती हैरिटेज बोर्ड इस मुहिम को अब लोगों के माध्यम से आगे बढ़ा रहा है। उन्होने लोगों से अपील की कि वे हैरिटेज बोर्ड के माध्यम से इस प्राचीन विरासत को जानकर देश की गौरवशाली परम्परा को जानें।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति हरदीप कुमार ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि सरस्वती सभ्यता 5000 वर्ष पुरानी है। उन्होने सरस्वती हैरिटेज बोर्ड को बधाई देते हुए राज्य सरकार की इस योजना के अनुसार हरियाणा प्रदेश के साथ अन्य राज्यों में सरस्वती नदी के किनारे पर्यटन स्थलों व तीर्थ स्थलों को नया जीवन दान मिलेगा। राज्य सरकार इन स्थलों को विकसित करेगी जिससे हरियाणा प्रदेश पर्यटन हब के रूप में विकसित होगा।
इस मौके पर युवा संास्कृतिक कार्यक्रम विभाग के कलाकारों ने कार्यक्र्रम प्रस्तुत किए। निफा द्वारा सरस्वती की कहानी पर आधारित डीएवी कालेज यमुनानगर की छात्राओं द्वारा प्रस्तुत नृत्य नाटिका की दर्शकों ने खूब सराहना की।
इस मौके पर थानेसर के विधायक सुभाष सुधा, लाडवा के विधायक पवन सैनी, कुलसचिव डॉ. प्रवीण कुमार सैनी, एडीसी प्रभजोत सिंह, एसपी सिमरदीप सिंह, एसके रमन, हरिबान बजे, एसराम मोहन, हैरिटेज बोर्ड के सीईओ बिजेन्द्र, भाजपा जिलाध्यक्ष धर्मवीर मिर्जापुर, विद्या भारती संस्कृत शिक्षा संस्थान के निदेशक रामेन्द्र सिंह, प्रो. अनिल वोहरा, प्रो. अनिल वशिष्ठ, प्रो. श्याम कुमार सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे।

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