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Tuesday 19 January 2016

पीला रतुआ बीमारी को लेकर कृषि विभाग सर्तक : डा. वजीर सिंह



पीला रतुआ बीमारी को लेकर कृषि विभाग सर्तक : डा. वजीर सिंह

गेहूं फसल में होने वाली बीमारियों के लक्षण को जानने के लिए किया कई गांवों को दौरा। 

कुरूक्षेत्र, 19 जनवरी - गेहूं में लगने वाली घातक बीमारी पीली रतुआ को लेकर कृषि विभाग पूरी तरह से सर्तक है। इसी के अंतर्गत उपकृषि निदेशक डा. वजीर सिंह के निर्देश पर गेहूं में होने वाली पीला रतुआ बीमारी के लक्षण की वास्तविकता को जानने के लिए  सहायक पौधा सरंक्षण अधिकारी डा. बलबीर सिंह भान के नेतृत्व में जिले के सभी कृषि विकास अधिकारी व  कृषि निरीक्षक ने खंड लाडवा के गांव छलौंदी, जन्देड़ा, बन, बुढा, प्रहलादपुर, बहलोलपुर, भालड व खंड बाबैन के गांव हरिसिंह माजरा, कनौनी, कालवा, बीड कालवा, बेरथला, बेरथली, लखमडी, बुहावा, बुहावी, बीड़ मंगोली, मंगोली जाट्टान, संघौर, रामशरण माजरा सहित अन्य गांवों में जाकर गेहूं की फसल में होने वाली बीमारियां की बारीकी से जांच कर किसानों को फसलों को बचाने बारे जानकारी भी दी। इस दौरान उन्होंने बताया कि कुरूक्षेत्र जिला में गेहूं की फसल में फिलहाल अभी तक पीला रतुआ बीमारी के कोई लक्षण सामने नहीं आए है। 
        उन्होंने किसानों को लगातार अपने खेतों में निरीक्षण करने की बात करते हुए कहा कि इस बीमारी के लक्षण प्राय ठंडे व नमी वाले क्षेत्रों में ज्यादा देखने को मिलती है, साथ ही पोपलर व सफेदे के आसपास उगाई गई फसलों में यह बीमारी सबसे पहले आती है। पत्तों का पीला होना ही पीला रतुआ नही है, पीला पत्ता होने के कारण फसल में पोषक तत्वों की कमी, जमीन में नमक की मात्रा  ज्यादा होना व पानी का ठहराव भी हो सकता है। पीला रतुआ बीमारी में गेहूं  के पत्तों पर पीले रंग का पाउडर बनता है जिसे हाथ से छूने पर हाथ पीला हो जाता है। यदि ऐसे लक्षण दिखाई दे तो किसान तुंरत प्रोपिकोनाजोल(टिल्ट)नामक दवाई का प्रयोग करते हुए 200 मिलीलिटर, 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से गेहूं की फसल में स्पे अवश्य करे व रोग के प्रकोप फैलाव को देखते हए दूसरा छिडक़ाव 15-20 दिन के अतंराल के अंदर जरूर करे। ऐसा करने से काफी हद तक पीला रतुआ बीमारी पर रोक लगाई जा सकती है। 
     डा. वजीर सिंह ने बताया कि इस बीमारी से बचाव के लिए विभाग ने खंडवार थानेसर में 450 लीटर, लाड़वा में 450 लीटर, बाबैन में 350 लीटर, शाहबाद में 450 लीटर व पिहोवा में 300 लीटर दवाई का स्टाक उपलब्ध करवाया है। किसान भाई कृषि विकास अधिकारी से परमिट लेकर 50 प्रतिशत अनुदान पर यह दवाई प्राप्त कर सकता है। इसके साथ-साथ अधिक जानकारी के लिए वह अपने कृषि विकास अधिकारी, खंड कृषि अधिकारी, उपमंडल कृषि अधिकारी सहित सहायक पौधा सरंक्षण अधिकारी से संपर्क कर जानकारी ले सकता है।

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